आपदाकाल में पूरे समर्पण के साथ दिखाया जा रहा मदद का अद्भुत जज्बा


-: लॉकडाउन के बाद से ही लगातार कराया जा रहा है सैकड़ों लोगों को भोजन
-: कोरोना के खात्मे के लिये काम कर रही श्रंखला के कर्मवीरों को भी रोक रोक कर दिये जा  रहे पैकेट  
-: घरों में खुद भोजन पकाने के लिये भेंट की जा रही है राशन सामगी्र
-: संकट में किसी का दर्द बांट लें यही तो धर्म है-गौरव महाराज 
उरई(जालौन)। कहते हैं कि भोजन कराने या भोज्य सामग्री दान करने से आपके भण्डार कक्ष में कभी कमी नही आयेगी। यह कोई ऐसी किदवंती नही है जिसे कहा या यों ही सुनकर टाल दिया जाये वरन यह ऐसा ब्रम्ह वाक्य माना जा सकता है जिसे यदि आप प्रयोग करके देखे तो आप परेशान नही होंगे बल्कि आपको अति आत्मिक सुख मिलेगा। देश में कई स्थानों पर आपको ऐसे तमाम उदार ह्रदय लोग या संस्थायें मिल भी जायेंगी जो अपने से ज्यादा दूसरों का ख्याल रखने के लिये ख्याती प्राप्त कर चुकी हैं। इन्ही में से यदि उत्तर प्रदेश के उरई नगर की रामनगर सेतुबंधु रामेश्वर मंदिर से संचालित जगदीश नारायण सेवा समिति के कार्य का उल्लेख किया जाये तो यहां अतिश्योक्ति न होगी। लॉक डाउन के बाद बने हालात में विभिन्न स्थानों से अपने घर लौट रहे राहगीरों एवं असहायों तथा कोरोना कर्मवीरों को इस समिति द्वारा  बीते करीब एक माह से लगातार भोजन कराया जा रहा है। मंदिर समिति द्वारा हर रोज सैकड़ों लोगों के भोजन की हो रही व्यवस्था की चर्चा न केवल नगर वरन दूरस्थ स्थानों पर भी हो रही है।
                    देश में कोराना की आहट के बाद 25 मार्च को सम्पूर्ण लॉकडाउन कर दिया गया था। इस स्थिती में सभी तरह की हुयी बंदी के कारण जहां हर वर्ग के  व्यक्ति को परेशानी हुयी तो वही दैनिक रूप से मजदूरी या अपना रोजमर्रा के काम से गुजरा करने वालों के सामने रोज के भोजन तक संकट खड़ा हो गया था। स्थिती की नजाकत को भांप सरकार ने स्वयं सेवी संस्थाओं एवं धार्मिक संगठनों तथा समाजसेवियों को सामर्थ्य के अनुसार मदद का आवाहान किया तो फिर एक के बाद संस्थायें जगह जगह काम करने के लिये आगे आयी। कुछ ने फौरी रूप से मदद कर अपनी इति श्री कर ली तो कुछ अनवरत रूप से इस मानव सेवा के कार्य में आज भी लगी हुयी है। नगर में जगदीश नारायण उपाध्याय सेवा समिति कैलिया के तत्वाधान में प्रंवधक गौरव महाराज द्वारा रामनगर स्थित रामेश्वर मंदिर स्थल से अपनी श्रमदान टीम द्वारा 26 मार्च से शुरू कराये गये भोजन वितरण के दान रूपी काम को एक भी दिन बिना रूके एवं बिना थके अनवरत रूप से किया जा रहा है। उनकी टीम के सदस्य भी पूरे दिन नगर के तमाम स्थानों पर जाकर जरूरतमंदों को बिठाल कर भोजन करा रहे हैं। न केवल नगर के जरूरतमंदों को बल्कि इस दौरान बाहर से आने वाले राहगीरोें को भी बिठाल कर सम्मान के साथ उन्हें भोजन परोसने की सेवा कर रहे हैं। इसके अलावा शहर के क ई स्थानों पर रहे रहे लोगों के घरों पर जाकर उन्हें सूखी राशन सामग्री भेंट की जा रही है ताकि वह अपने घर पर ही भोजन पका कर अपना पेट भरें एवं भूखे न रहें।  इस सेवा भाव के काम का लक्ष्य उनके द्वारा केवल वही गरीब एवं आजीविका से बाहर हुये लोग ही नहीं है बल्कि कोराना आपदा में कोराना वायरस को खत्म करने में लगे उन तमाम कर्मवीरों जिनमें पुलिस बल के सदस्य, सफाई कर्मी, तथा चिकित्साकर्मी भी हैं। जिन्हें उनकी ड्यूटी स्थल पर जाकर लंच पैकिट देकर उनक ी रातदिन की समर्पित सेवा को प्रणाम किया जा रहा है। एक तरफ जहां इस सेवा कार्य से उन लोगों को राहत मिल रही है जो भोजन के अभाव में परेशान हो रहे हैं तो ऐेसे लोगों को अपनी ड्यूटी करने का प्रोत्साहन मिल रहा है जो कोरोना के संक्रमण काल में भी अस्पतालों, नगर के विभिन्न चौराहों एवं गलियों में अपनी ड्यूटी करके समाज के अन्य लोगों को कोरोना से बचाने को प्रयास कर रहे हैं। मंदिर समिति परिसर में बन रही खाद्य सामग्री किसी भी समय कम होते नही दिख रही है यही प्रभू की अनुपम अनुकम्पा मानी जा सकती है। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण विषय यह कि राशन सामग्री हो या भोजन दोनों के वितरण में लगी टीम भी पहले दिन से ही लगातार काम कर रही है। युवा टीम के सदस्य श्यामजी शर्मा, मानवेन्द्र पटैरिया, प्रखर सिरोठिया,प्रंशु दीक्षित,योगी जी, सन्नू सोनी,आनंद एवं छोटू का आदि का श्रमदान भी इस सेवाकार्य में उल्लेखनीय माना जा रहा है। यह कारण है कि रामेश्वर मंदिर से संचालित हो रहे यह मानवीय सेवा जिले में ही नही वरन अन्य स्थानों पर प्रेरणा का  पयार्य साबित हो रही है। आपदा के इस दौर में की जा रही मदद  मानवीय कर्तव्य बताते हुये मंदिर के प्रंवधक गौरव महाराज कहते हैं कि धर्म की परिभाषा कुछ अलग नही हैं बल्कि आप यदि संकट में दूसरे से काम आ जायें बस यही धर्म हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को हमेशा जनकल्याण की सोच को रख कर अपना जीवन यापन करना चाहिये उसकी इस सोच से ही वह परमेश्वर के नजदीक होने का आभास कर सकता है।