विश्व व्यापी संक्रामक बीमारी कोविड-19 से संघर्ष कर रहे दुनिया के सभी देशों में संक्रमण रोकने के तमाम प्रयास हो रहे हैं। इसके अलावा इस बात पर भी गहन मंथन हो रहा है कि आखिर यह चीन से निकल कर अन्य देशों में तेजी से फैला कैसे? दिसम्बर-19 में चीन के बुहान शहर में फैले इस संक्रमण के बाद वहां पर डब्लूएचओ ने इसे रोकने के कोई सख्त कदम क्यों नही उठाये? इस वायरस से अब तक भारी जनहानि भुगत रहे अमेरिका ने तो चीन की तरफदारी कर रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की भूमिका पर सबालिया निशान लगाते हुये दुनिया के अन्य देशों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। दुनिया को उस सच का इंतजार है जो वुहान की लैव से निकला है।
(सुधीर त्रिपाठी) ।
जैसे जैसे कोरोना संक्रमण से स्थिती विकराल होती जा रही है वैसे वैसे इस वायरस की उत्पत्ति एवं इसकी प्रारम्भिक रोकथाम को लेकर किये गये उपायों की समीक्षा भी वैश्विक स्तर पर होनी प्रारम्भ हो गयी है। कोविड-19 वायरस की उत्पत्ति से सम्बन्धित देश चीन की इस समय चौतरफा घेरावंदी हो रही है तथा आरोप तो यह भी लग रहें है कि वैश्विक अर्थ व्यवस्था को तहस नहस करने के उद्देश्य से सोची समझी चाल के तहत इस वायरस को तैयार किया गया है। विश्व की महाशक्ति कहे जाने वाले देश यूएसए तो इसको लेकर वाकायदा जांच कराये जाने की मांग पर भी अड़ गया है तथा अपने स्तर से जांच क राये जाने की बात भी उसके द्वारा कही जा रही है। इधर जहां चीन से उत्पन्न इस वायरस को लेकर चीन को घेरा जा रहा है तो वही संयुक्त राष्ट संघ (UNO) की सहायक इकाई कही जाने वाले एवं समूचे विश्व को स्वास्थ्य सेवा के प्रति समय समय पर सजगता भरे संदेश तथा चिकित्सा मदद करने वाली संस्था विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) की भूमिका पर सवालिया निशान लगाये जा रहे हैं। इस संगठन को सर्वाधिक मदद देने वाले देशों में से एक अमेरिका ने तो इसकी फंडिग रोकने का निर्णय लिया है। उसके द्वारा डब्लूएचओ पर लगाये जा रहे आरोपों के चलते इस समय अन्य देश भी यह सोचने को मजबूर हो गये हैं कि आखिर वायरस का दायरा इतनी जल्दी बढ़ कैसे गया?
चीन के आद्योगिक नगर कहे जाने वाले वुहान शहर से फैले कोविड-19 वायरस के फैलने पर चीन क ा अपना वक्तव्य कुछ भी पर अमेरिका का मानना है कि इस वायरस के संक्र मित होने एवं वायरस से चीन में हुयी मौंतों के आंकड़े को चीन ने छिपाया है। इसके अलावा वायरस के लगातार बढ़ रहे दायरे के दौरान भी चीन में विदेश यात्राओं का सिलसिला लगातार जारी रहा। आंकड़ों के अनुसार दुनिया के तमाम देशों से करीब 2 करोड़ लोगों का हर साल चीन के वुहान जाना आना रहता है। इतनी बढ़ी संख्या में वुहान में विदेशियों के आने जाने के बाद में भी चीन ने वहां पर लॉकडाउन में विलम्ब किया। चीन के अनुसार उसे 14 जनवरी को वुहान में इस वायरस की जानकारी हुयी तथा उसने 20 को इसकी जानकारी दी एवं 23 जनवरी से वुहान को लाकडाउन में ले लिया। इसके बाद चीन में इस वायरस से संक्रमित होने तथा मरने वाले जो आंकड़े दिये गये उन पर प्रारम्भ से ही अन्य देशों को संदेह होने लगा। इधर कोविड-19 को लेकर अब तक डब्लू एचओ के तमाम आधिकारिक ब्यान जारी हुये। जिसमें प्रारम्भिक ब्यानों में इस बीमारी को संक्रमित न होने की बात कही गयी। अमेरिका का मानना है कि डब्लूएचओ ने अपने ब्यान से तमाम देशों को अंधेरे में रखा। डब्लूएचओ का यह कहना कि कोविड-19 मनुष्य से मनुष्य में नही फैलता यह कहां तक सही था? इसके अलावा उसके द्वारा चीन के प्रारम्भिक आंकड़ो पर अपनी सहमति की मुहर लगाना उसकी भूमिका को संदेह के घेरे में खड़े करता है। अमेरिका तो यहां तक कहता है कि इस वायरस की उत्पति अक्टूबर -19 के मध्य में हुयी तथा वुहान में उस दौरान 27 लोगों की मौतें भी हुयी। इस आंकड़े को जानबूझ कर छिपाया गया तथा वायरस की विकरालता से विश्व को अंधेरे में चीन ने रखा तथा डब्लूएचओ ने एक तरफा उसकी तरफदारी की। डब्लूएचओ पर लग रहे इतने गम्भीर आरोप तथा संक्रमण के दौरान रोकथाम के लिये चीन के प्रयासों की डब्लूएचओ द्वारा ताारीफ करना कहीं वास्तव में तो अन्य देशों को सोचने के लिये मजबूर नही कर रहे। इस बीच अमेरिका ने डब्लूएचओ को दी जाने वाली मदद राशि रोक दी है। गौरतलब हो कि 194 सदस्य देशों वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 1948 में विश्व को स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति मदद एवं एकाग्र करने के उद्देश्य से हुआ था। हर साल तमाम देश मदद करते हैं। जिसमें अमेरिका न.-1 पर है। विगत से लगतार मदद करते आ रहे देशों में अमेरिका ने इस वर्ष 441 बिलियन डालर तो चीन ने 219, जापान ने 156, जर्मनी ने 111 तथा ब्र्रिटेन ने 83 बिलियन डालर की मदद की है। मगर अब आगे की मदद पर अमेरिका ने रोक लगा दी है। साथ ही डब्लूएचओ के डीजी डा. ट्रेडोस एडहैनम की भूमिका विश्व परिपेक्ष्य में पक्षपात पूर्ण होने वाली बताया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की मानें तो चीन में अब तक इस वायरस वहां पर 2 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हैं। तथा मौत का आंकड़ा भी इसके आसपास ही होगा। चीन पर लगातार आंकड़ों का छिपाव करने का आरोप लगा रहे अमेरिका में अब दुनियां भर में कोराना से हुयी मौंतों में 20 प्रतिशत अकेले अमेरिका में हैं। हालांकि यह आंकड़ा उसके अपने कुप्रवंधन के कारण माना जा रहा है। अमेरिका ने अपनी अर्थव्यवस्था का वास्ता देकर वहां पर लॉकडाउन नही किया परिणाम यह है कि वहां पर संक्रमण बहुत तेजी से फैला। तो वही कोरोना संक्रमण फैलने को रोकने के लिये समय पर डब्लूएचओ की गाइडलाइन सही जारी न करने का आरोप भी लग रहा है। न केवल अमरीकी राष्ट्रपति बल्कि वहां के रिपब्लिकन सीनेटर मार्था मैकसेली तथा टेड क्रूज ने भी उन पर तमाम सबाल उठाये हैं। क्रूज ने तो उनको हटाये जाने की भी मांग उठायी है। गौरतलब हो पूर्वी अफ्रीका के इथियोपिया देश के स्वास्थ्य मंत्री एवं वहां के विदेश मंत्री रह चुके डा. ट्रेडोस एडहैनम ने मलेरिया की रिसर्च पर काम किया। इसके बाद वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक बनाये गये। कहा तो यह भी जा रहा है उन्हें कि डब्लूएचओ के डीजी बनबाने में चीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यद्यपि आरोपो से हटकर डब्लूएचओ लगातार विश्व कल्याण के लिये अपने कारगर प्रयासों की दुहायी दे रहा है पर हाल के दिनों में जिस प्रकार विश्व कोरोना संक्रमण से घिरा उसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन की एकाग्रता एवं समय रहते होने वाली तैयारियों को बेहतर नही माना जा रहा है। आंकड़ों पर यदि निगाह डाले तो जहां पर वायरस की उत्पत्ति हुयी उस वुहान शहर में अब तक 4632 मौतें हुयी तथा82692 लोग संक्रमित हुये जबकि पूरे विश्व की स्थिती देखी जाये तो अब तक 2165550 लोग संक्रमित हो गये हैं तथा मौत का आंकड़ा 145705 पहुंच गया है। पिछले लम्बे समय से लॉकडाउन में चल रहे भारत में संक्रमित लोंगों की संख्या अबतक 13887 एवं मौत की संख्या 437 हैं। तो वही अमेरिका, इटली, स्पेन, ब्रिटेन, बेल्जियम,ईरान, तुर्की सहित यूरोप के तमाम देश इस समय संक्रमण के गहरे संकट में हैं। दुनिया के तमाम देशों में हो रहे विश्लेषणों से भी इस संक्रमित वायरस के तेजी से फैलने एवं चीन की नियोजित सोच की तरफ इशारे हो रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि संक्रमण की अवधि में चीन में ं एकाएक मेडिकल उत्पादों की बिक्री में उबाल आया और जिन कम्पनियों को इन उत्पादों की आपूर्ति का आदेश मिला उनकी उम्र भी ज्यादा नही थी। एकदम नयी कम्पनियों ने दुनियां के तमाम देशों की मांग पर वहां पर भारी मात्रा में पीपीई किट, मास्क, सेनेटाइजर एवं वेंटिलेटर आदि आपूर्ति की। चीन के संघाई एवं बीजींग से इन उत्पादों की आपूर्ति की गयी। इसे क्या समझा जाये। तीन चार महिने में ही इन आपूर्तिकर्ता कम्पनियों का करोड़ों का कारोबार हो गया तो फिर इसे क्या महज इत्तिफाक ही माना जाये क्या? दुनिया की अर्थव्यवस्था को खत्म करने का पर्याय साबित हो रहे कोरोना वायरस के जनक देश चीन की इसके बाद भी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तरफदारी करना सही नही कहा जा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बात में कितना दम है यह तो उनके इस दावे के आने वाले सच के बात ही पता लगेगा जिसमें वह लगातार यह कह रहे हैं कि वुहान की लैव का सच जल्द ही दुनिया के सामने आयेगा।