बॉर्डर पर पुलिस को श्रमिकों पर करना पड़ा लाठी चार्ज

झांसी। रविवार को उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद के रक्सा के पास स्थित यूपी-एमपी बॉर्डर पर प्रवासी मजदूरों की हठधर्मिता के कारण पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। यहां के हालात शनिवार की देर रात खराब हो गये थे जो सुबह तक लगातार बिगड़ते चले गये। मजदूर अपने प्राइवेट वाहनों से गंतव्य तक जाने की जिद और पुलिस बल द्वारा सरकारी वाहनों से ही वार्डर से निकलने देने पर अड़े रहने से जोर आजमाइश होती रही और वार्डर पर लगभग 20 किमी लंबा जाम लग गया। अपने प्राइवेट वाहनों से निकलने को लेकर हंगामा काट रहे प्रवासी मजदूरों पर पुलिस को हलका लाठी चार्ज करना पड़ा।
मजदूरों का कहना था कि उन्हें आगे बढ़ने दिया जाए वहीं झांसी प्रशासन सरकार के आदेश का पालन करते हुए अपनी जिद पर अड़ा रहा। पुलिस के सामने दोहरी चुनौती खड़ी हो गयी। आदेश का पालन नहीं किया तो कार्रवाई का डर और मजदूरों को रोकने पर हालत बिगड़ने का डर। बता दें कि शनिवार की रात 11 बजे से लेकर अब तक यूपी-एमपी सीमा पूरी तरह से सील है। ऐसे में लगभग 20 किलोमीटर लंबा जाम पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूर अपने पूरे परिवार के साथ ऐसी भीषण गर्मी में ट्रकों पर सवार है. प्रशासन के समझाने के बावजूद प्रवासी मजदूर मानने को तैयार नहीं हैं, जबकि प्रशासन द्वारा प्रवासी मजदूरों के लिए 2 ट्रेन और कई बसों का इंतजाम किया गया है। मौके पर आईजी सुभाष सिंह बघेल, डीएम आंद्रा वामसी और एसएसपी सहित जिले के तमाम बड़े अधिकारी पहुंच गये। सभी अधिकारी प्रवासी मजदूरों को समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन वे उनकी बात मानने को तैयार नहीं हैं. कई मजदूर पुलिस से भिड़कर अपने वाहनों को जबरन जिले की सीमा के अंदर प्रवेश करने लगे। जाम में फंसे मजदूरों का कहना है कि उन्हें रात के 11 बजे से लेकर अब तक बॉर्डर पर रोक रखा है. हम में से कई लोगों की हालत खराब हो चुकी है, लेकिन यूपी पुलिस हमें आगे नहीं बढ़ने दे रही है। यूपी पुलिस सरकार के आदेश का पालन करने के लिए जुटी है। बताया जा रहा है एक बच्चे की मौत के बाद भूखे-प्यासे मजदूरों ने गुस्से में आकर बेरियर तोड़ कर पुलिस से अभद्रता कर अपने वाहन निकालने का प्रयास किया। हालत बेकाबू होने पर पुलिस ने भी हल्का लाठीचार्ज कर दिया। सूत्रों की मानें तो दोपहर 12 बजे तक हालत सामान्य होने शुरू होने लगे थे। जो पैदल आ रहे थे वह मजदूरों ने उपलब्ध बसों में सवार होना शुरू कर दिया जबकि ट्रक आदि में सवार मजदूरों ने भी निकलना शुरू कर दिया था।ल